हम तन्हा तसल्ली से रहते है बेकार उलझाया ना करे !
खुद-ब-खुद शामिल हो गए तुम मेरी साँसों में,
मेरा इश्क़ खुदा सब तुम्ही हो, तेरे बिना मैं कुछ भी नहीं।
जवाब उसका था उत्तर मैं, कहानी उसकी थी और किरदार मैं।
आज कल फ़िर तुझसे मिलने का इरादा नहीं हो रहा, अब तुझे खुश रखने का ठान जो रखा है।
साँसे खत्म हो सकती हैं पर मोहब्बत नही।
तुझे बाँहों में भर कर यूँ लगता है मानों, पूरी दुनिया की दौलत मेरे बाहों में समा गई हो।
हमा-ओस्त समूह से ताल्लुक़ रखने वाले सूफियों का कहना है कि चूँकि ख़ुदा ख़ुद फ़रमाता है कि मैं ज़मीन और आस्मानों का नूर हूँ इसलिए हर चीज़ उस नूर का एक हिस्सा है।
बहुत ही सुंदर शायरी के लिए आपका धन्यवाद।
"कुछ खास जादू नहीं है शायरों के पास, बस बातें दिल से निकलती हैं और दिल तक पहुँचती हैं।"
है अजीब शहर की ज़िंदगी न सफ़र रहा न क़याम है
मुज़्तर ख़ैराबादी टैग : ग़म शेयर कीजिए
अब इश्क़ के अलावा कोई काम नहीं सूझता, एक तुम हो shayari और बस मैं हूँ।
ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो